Wednesday, April 15, 2015

नेट न्यूट्रलिटी का घनचक्कर

.... तो महंगा हो जाएगा व्हाट्‍सएप-फेसबुक चलाना...

मोबाइल पर व्हाट्‍सएप और फेसबुक चलाने वालों को झटका लग सकता है। टेलीकॉम कंपनियां अब इन पर उपभोक्ताओं की जेब पर है। टेलीकॉम कंपनियां ऐसे एप के उपयोग  का ज्यादा पैसा ले सकती हैं, जिसका यूजर्स ज्यादा उपयोग करते हों। अभी फेसबुक और  व्हाट्‍सएप फ्री एप हैं। हो सकता है इन एप्स को चलाने के लिए आपको अलग से डेटा पैक लेना पड़े। यह पूरा मामला नेट न्यूट्रलिटी से जुड़ा है, जो इन दिनों चर्चाओं में है।
क्या है नेट न्यूट्रलिटी :  नेट न्‍यूट्रलिटी को हिन्दी में हम ‘इंटरनेट निरपेक्षता’ या  तटस्‍थता भी कह सकते हैं। मोटे तौर पर यह इंटरनेट की आजादी या बिना किसी  भेदभाव के इंटरनेट तक पहुंच की स्‍वतंत्रता का मामला है।
नेट न्‍यूट्रलिटी या इंटरनेट निरपेक्षता का सिद्धांत यही है कि इंटरनेट सेवा प्रदाता या  सरकार इंटरनेट पर उपलब्‍ध सभी तरह के डेटा को समान रूप से ले। इसके लिए समान  रूप से शुल्‍क हो। इस शब्‍द का सबसे पहले इस्‍तेमाल कोलंबिया विश्‍वविद्यालय में प्रोफेसर टिम वू ने किया था। इसे नेटवर्क तटस्‍थता, इंटरनेट न्‍यूट्रलिटी तथा नेट समानता भी  कहा जाता है।
क्यों उठा ये सारा मामला..
एयरटेल ने हाल ही में मुफ्त इंटरनेट प्लान 'एयरटेल जीरो' लांच किया था। इसे लेकर  विवाद था। इस प्लान के जरिए ग्राहक कई एप्लीकेशन्स को बिना किसी डेटा चार्ज के ही प्रयोग कर सकेंगे, लेकिन ग्राहक केवल उसी वेबसाइट को ब्राउज या डाउनलोड कर सकेंगे  जो एयरटेल के साथ रजिस्टर्ड होंगी। फ्लिपकार्ट ने इसके लिए एयरटेल के साथ करार  किया था। इस करार के अंतर्गत एयरटेल ग्राहकों को फ्लिपकार्ट के दूसरे चुनिंदा एप्स  मुफ्‍त प्रयोग की सुविधा थी।
इसका पैसा ग्राहक से नहीं बल्कि कंपनी से लिया जाता। करार के बाद 51 हजार लोगों  ने एप की रेटिंग 1 की और हजारों ने डिलीट कर दिया। 3 लाख से ज्यादा लोगों ने 3  दिन में ट्राई को ई-मेल भेजा। फ्लिपकार्ट ने करार यह कहते हुए तोड़ दिया कि वह नेट  न्यूट्रलिटी को समर्थन देती है और गहराई से देखा जाए तो यह नेट न्यूट्रलिटी के खिलाफ  है।

तो लेना पड़ेंगे, व्हाट्‍सएप- फेसबुक के लिए डेटा पैक..
लेना पड़ेंगे अलग से प्लान :   इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि डीटीएच  कंपनिया कुछ चैनल फ्री देती हैं और बाकी चैनल के लिए आपको पैक लेना पड़ता है।  जैसे स्पोर्ट्‍स के लिए अलग पैक। अब अगर आपको क्रिकेट देखना है तो यह लेना पड़ेगा  चाहे कंपनी उसका कितना भी चार्ज क्यों न ले। इसी तरह से इंटरनेट में भी हो जाएगा।  कुछ एप फ्री होंगे और कुछ के आपको पैसे चुकाने पड़ेंगे।
व्हाट्‍सएप- फेसबुक के लिए लेना पड़ेंगे पैक : ‍डीटीएच की तरह आपको फेसबुक और  व्हाट्‍सएप के लिए अलग- अलग डेटा पैक लेना पड़ें। अगर ऐसा नहीं हुआ तो टेलीकॉम  कंपनियां यूजर्स की संख्या बताकर इन कंपनियों से पैसे वसूल करे। अगर एप कंपनियां  भी टेलीकॉम कंपनियों को पैसा नहीं देंगी तो हो सकता है उनके लिए इंटरनेट की स्पीड  धीमी हो। स्काइप, वाइबर, चैट ऑन, इंस्टाग्राम, हाइक, वीचैट, ई-कॉमर्स साइट्स  (अमेजन, फ्लिपकार्ट, स्नेपडील), फेसबुक मैसेंजर, ओला, ब्लैकबैरी मैसेनजर, ऑनलाइन वीडियो  गेम्स सबके लिए आपको अलग से इंटरनेट प्लान लेना होगा।

किसका होगा फायदा : नेट न्यूट्रेलिटी में आप अगर किसी साइट पर वीडियो या कंटेंट एक्सेस कर रहे हैं और अगर वह साइट आपकी सर्विस प्रदाता कंपनी से रजिस्टर्ड नहीं है तो आपको धीमी स्पीड मिलेगी। ऐसे में आपकी इंटरनेट की स्वतंत्रता छिन जाएगी क्योंकि आप स्वतंत्र रूप से इंटरनेट इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। आप अगर दूसरी साइट को तेजी से इस्तेमाल करना चाहेंगे तो आपको उसके लिए अलग से डाटा पैक खरीदना होगा। इससे टेलीकॉम कंपनियों का फायदा ही फायदा होगा और आपको इंटरनेट इस्तेमाल करने के लिए मोटी रकम चुकानी होगी।

सरकार का रुख : सरकार ने इस पूरे मामले पर एक कमेटी का गठन किया है जो अगले महीने सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी। ट्राई भी इसके लिए दिशा-निर्देश की बना रहा है। सभी  पक्षों से 24 अप्रैल तक रिपोर्ट मांगी गई है। टेलीकॉम कंपनियों को 8 मई तक का समय दिया गया है। इसके बाद ही इस पर फैसला होगा।

Tuesday, April 14, 2015

अग्निशमन सेवा दिवस...

अग्निशमन सेवा दिवस...
तेज उठती लपटें और उनके बीच किसी के उजड़ते आशियाने को बचाने की मंशा फायरकर्मियों में देखने को मिलती है। वे हर दिन आग से खेलने का काम करते हैं। इस खतरनाक काम को अंजाम देते हुए उन्हें अपनी जान की भी फिक्र नहीं होती। फिक्र होती है तो उन्हें सिर्फ उस जलते मंजर या फिर उसमें धधकती जिंदगी को बचाने की। आग लगने वाली जगहों पर फायरमैन सिर्फ एक फोन कॉल पर दौड़ पड़ते हैं।
दूसरों के हिस्से की तपन को झेलते हुए जनता की रक्षा व सुरक्षा के लिए कृत संकल्पित इस जांबाज फायरमैन दल के लिए अग्निशमन दिवस महज कौशल प्रदर्शन का मंच नहीं है, वरन ये स्मृति दिवस है उन 66 अग्निशमन कर्मचारियों की शहादत का, जिन्होंने जनसेवा करते हुए सहर्ष मृत्यु का वरण किया।
वह14 अप्रैल 1944 का एक धधकता शुक्रवार था,जब विक्टोरिया डाक बंबई में सेना की विस्फोट सामग्री से भरा पानी का जहाज लपटों के आगोश में समा गया। आग पर काबू पाने के लिए बंबई फायर सर्विस के एक सैकड़ा अधिकारी व कर्मचारी घटनास्थल पर भेजे गए।
अटूट साहस और पराक्रम का प्रदर्शन करते हुए इन जांबाज अग्निशमन कर्मचारियों ने धधकती ज्वाला पर काबू करने का भरसक प्रयत्न किया। आग पर नियंत्रण तो पा लिया गया,लेकिन इस कोशिश में 66फायरमैन को अपनी जान की आहूति देनी पड़ी।
उन्हीं 66शहीद अग्निशमन कर्मचारियों को श्रद्धांजलि देने के लिए अग्निशमन सेवा दिवस मनाया जाता है।
इस दिवस के विभिन्न आयोजन पूरे सप्ताह भर चलते हैं। सप्ताह के दौरान फायर ब्रिगेड द्वारा विभिन्न कारखानों, शैक्षणिक संस्थाओं,ऑइल डिपो आदि जगहों पर अग्नि से बचाव संबंधी प्रशिक्षण दिया जाता है।

अग्निशमन सप्ताह के अंतर्गत नागरिकों को अग्नि से बचाव तथा सावधानी बरतने के संबंध जागृत करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। इसका उद्देश्य अग्निकांडों से होने वाली क्षति के प्रति नागरिकों को जागरूक करना होता है।